मेजर जनरल वाईपी खंडूरी
महाप्रबंधक,
कैंटीन भण्डार विभाग
सीएसडी की स्थापना 1948 में की गई थी,प्रारम्भ में सौ के करीब यू आर सी (कैंटीन) थी।आज सीएसडी लगभग 1 करोड़ 35 लाख से अधिक सेवारतअधिकारी/कर्मचारी एवंपेंशनधारकतथा उनके परिवारों के लिएवस्तुओं का वितरण करता है।सीएसडी के लिए, 'उपभोक्ता सर्वोपरि है' इसलिए, सीएसडी इस मुख्य नीति का पालन करके यूआरसी से हर मांग को पूरा करने का प्रयास करता है और साथ ही यह सुनिश्चित करता हैं कि विक्रेताओं के हितों को केवल तब तक ही सम्मिलित किया जाय जब तक यह हमारे सैनिकों की आवश्यकता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।समय बदल रहा है और बढ़ते उपभोक्तावाद के साथ, एकल परिवार, मीडिया का प्रसार, इंटरनेट और मीडिया के लिए उत्तरदायी मोबाइल डिवाइस, व्यक्तिगत और घरेलू स्तर पर खर्चे बढ़े हैं।अबउपभोक्ता केवल कम मूल्य वाले वस्तुओं से संतुष्ट नहीं हैं,अपितु वे अब एक विशेष खरीदारी अनुभवके लिएइच्छुक हैं।
भविष्य उतकृष्टता के लिए बड़ी संभावना और डिजिटल प्रवेश, कई अवसरों के साथ-साथ कई चुनौतियां भी प्रस्तुत करता है। अब बदलते भारत में बदलाव के साथ अगले दौर में अपनी क्षमताओं के बल पर हम सैनिक और उनके परिवारो के लिए अपने जनादेश एवं उनकी आकांछाओ को पूरा करने हेतु यहकार्य जारी रखेंगे।
जय हिन्द!
मेजर जनरल वाईपी खंडूरी
1. मेजर जनरल वाईपी खंडूरी को जून 1987 में जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री की 10वीं बटालियन में कमिशन दिया गया। बाद में उन्होंनेपश्चिमीछोर,16वीं बटालियन,पर जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री और नियंत्रण रेखा परकमान संभाली।उन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर एक इन्फैंट्री ब्रिगेड और इन्फैंट्री डिवीजन की भी कमान संभाली।
2. वह काउंटर इंसर्जेंसी (राष्ट्रीय राइफल्स) फोर्स में ऑपरेशनल स्टाफके तौर पर भी नियुक्त रहे और डेजर्ट सेक्टर में ऑपरेशनल लॉजिस्टिक स्टाफ के रूप में काम किया एवं जम्मू-कश्मीर में एक महत्वपूर्ण सैन्य छावनी के स्टेशन कमांडर रहे हैं।
3. उपरोक्त के अलावा वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और इन्फैंट्री स्कूल में प्रशिक्षक एवं सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन के अंतर्गत भारतीय दल का हिस्सा रहे हैं।
4. उन्होने इराक/कुवैत में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकके रूप में एवं भारत के दूतावास, काबुल (अफगानिस्तान) में रक्षा अटेची के रूप में सेवा दी है।